टिहरी : प्राकृतिक खेती विषय पर किसान संगोष्ठी का सफल आयोजन

प्राकृतिक खेती विषय पर किसान संगोष्ठी का सफल आयोज
आज दिनांक 22-09-2022 को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के रानीचैरी परिसर में कृषि विज्ञान केंद्रए वानिकी महाविद्यालय व कृषि विभाग के संयुक्त विद्यमान में आतमा परियोजन अंतर्गत ष्प्राकृतिक खेती विषय पर किसान संगोष्ठीष् का सफल आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन प्रभारी अधिकारीए कृषि विज्ञान केन्द्रए रानीचैरी डा0 आलोक येवले द्वारा सभी  अतिथियों का स्वागत किया गया।प्राकृतिक खेती पर किसान संगोष्ठी एवं कृषि तकनीकी प्रर्दशन का उद्घाटन प्रो अजीत कुमार कर्नाटक माननीय कुलपति एवं मुख्य अतिथि ब्लाक प्रमुख चंबा  शिवानी बिष्ट द्वारा किया गया ।

इस कार्यक्रम में  कुलपति द्वारा प्रतिभागियों को सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग न करने हेतु शपथ दिलाई इस किसान संगोष्ठी से प्राकृतिक खेती पर जोर देने हेतु किसानों को अवगत कराया गया।

कुलपति द्वारा अपने सम्बोधन में प्राकृतिक खेती के जनक पद्मश्री  सुभाष पालेकर  द्वारा प्राकृतिक खेती में किये गए क्रिया कलापों से अवगत कराया किसानों को जैविक के साथ प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित किया व प्राकृतिक खेती करने के लिए गाय पालन हेतु ष्हर घर एक गाय ष्का स्लोगन दिया और गाय को प्राकृतिक खेती का मूलभूत आधार बताया

मुख्य अतिथि  ब्लाक प्रमुख चंबा  शिवानी बिष्ट ने महिलाओ द्व्रारा अपने परिवार की जिम्मेदारी सम्भालते हुए खेती में दिए जा रहे योगदान को सराहा। इनके द्वारा विश्व विद्यालय से किसानो की प्रशिक्षण देने का आग्रह किया गया
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बीज बचाओ आंदोलन के संयोजकए  विजय जड़धारी  ने प्राकृतिक खेती के साथ साथ फसलों के स्थानीय बीजों को संरक्षित करने व सरकार के माध्यम से किसानों को गाय पालन हेतु सब्सिडी देने के लिए आग्रह किया
विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार प्रो ० सी० तिवारी द्वारा प्राकृतिक खेती के मुख्य बिन्दुओ पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला व किसानों को प्राकृतिक खेती के माध्यम से अधिक से अधिक आय अर्जित करने के लिये प्रेरित किया।

मुख्य कृषि अधिकारीए डा० अभिलाषा भट्ट द्वारा सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न पारम्परिक कृषि विकास योजनाए राष्ट्रीय कृषि विकास योजनाए किसान क्रेडिट कार्ड योजनाओं आदि का लाभ उठाने हेतु चलाये जा रहे अभियानों के बारे में जानकारी दी।

विश्वविद्यालय के सह निदेशक प्रसार डॉ अरविंद बिजल्वाण ने कहा की आज के परिवेश में रासायनिक उर्वरकों एवं किटनाशक के अंधाधुंध प्रयोग से मिटटी के शरण होने के वजह से प्राकृतिक खेती का महत्त्व बढ़ा है
कार्यक्रम में तकनिकी मार्गदर्शन करते हुए मृदा वैज्ञानिक डा शिखा द्वारा प्राकृतिक खेती के दो स्तम्भ जैसे की बीजामृत एवं जीवामृत की उपयोग पद्धिति के बारे में चर्चा की
पादप सुरक्षा विज्ञान डा सचिन कुमार द्वारा प्राकृतिक खेती के परिवेश में फसल सुरक्षा के उपायों जैसे नीमास्त्रए ब्रह्मास्त्रएअग्निअस्त्रा एवं दशपर्णी अदि के सम्बद्ध में विस्तार में बताया
डा लक्ष्मी रावत सहायक प्राध्यापक ने प्राकृतिक खेती मतलब रसायन मुक्त खेती की आवश्यकता एवं उपयोगिता के बारे में जानकारी दी.

डा अजय कुमार सहायक प्राध्यापक प्राकृतिक खेती में फसल अवशेष तथा प्राकृतिक खेती के दो स्तम्भ वापसा एवं आच्छादन का प्रयोग करने की विधि एवं उपयोगिता पर बल दिया.

इस कार्यक्रम में विभिन्न महिला समूहों द्वारा कृषि विभागों व विश्वविद्यालय के विभागों द्वारा विभिन्न उत्पादों एवं तकनिकी की प्रर्दशनी लगायी गयी। इस कार्यक्रम में डा एस पी सतीए डा अमोल वशिष्ठए डा योगेश नेगीए डा सुमित चौधरीए डा रीना जोशीए डा पदम् सिंहए  संगीता देवीए  गरिमा तिवारीए  उदय सिंह तड़ियाल  अमित सजवाण  नीरज सजवाण  मुकेश देवराड़ी अदि
प्रीती जड़धारीए श्रीमती येलमा सजवाण आदि जनप्रतिनिधि व लगभाग १३० से अधिक किसानों ने प्रतिभाग किया।