कैसे सुधरेंगे हालात: खुद के इलाज के लिए तरसता दिचली गमरी क्षेत्र का एकमात्र एलोपैथिक चिकित्सालय

  • चिन्यालीसौड़, रिपोर्ट – प्रवेश नौटियाल

यूं तो लोग अस्पताल खुद के इलाज के लिए जाते हैं लेकिन आज स्थिति ऐसी हो गई है कि दिचली गमरी क्षेत्र का एकमात्र एलोपैथिक चिकित्सालय खुद बीमार है। 15 से अधिक गांवों की दस हजार से अधिक की आबादी की सेहत को दुरुस्त करने का जिम्मा संभाले स्वास्थ्य केंद्र में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है।


चिन्यालीसौड़ प्रखंड के दिचली गमरी क्षेत्र में एकमात्र एलोपैथिक चिकित्सालय है जो कि 15 से अधिक गावों को चिकित्सकीय सुविधाओं उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाया तो गया लेकिन इसकी आज तक कोई सुध आला अधिकारियों और नेताओं द्वारा नही ली गई है।

दिचली क्षेत्र के इस अस्पताल में रोज क्षेत्र के लगभग 80 से 90 मरीज अपना इलाज करवाने आते हैं लेकिन अस्पताल में हो रही असुविधाओं के कारण किसी भी मरीज का सही से इलाज नहीं हो पाता है।

अस्पताल में केवल 4 बेड हैं जिस पर करीब दो से तीन मरीजों का उपचार करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल का भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार न तो अस्पताल के निर्माण के लिए बजट उपलब्ध करवा पा रही है और न ही इलाज में मदद करने वाले जरूरी उपकरणों को।

वहीं अस्पताल में मरीज बड़ी संख्या में इलाज के लिए तो आते हैं लेकिन फिर डॉक्टरों की कमी के कारण मायूस होकर वापस लौट जाते हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि दिचली गमरी के 15 से अधिक गावों का यह अस्पताल डॉ बृजेश डोभाल और फार्मासिस्ट रवि मेहरा के भरोसे चल रहा है, दोनो ही डॉक्टर क्षेत्र के मरीजों की सेवा कर तो रहे हैं लेकिन मूलभूत सुविधाएं आड़े आ रही है।

इस संबंध में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई बार स्वास्थ्य विभाग, सरकार के आला अधिकारियों और नेताओं का दरवाजा खटखटाया है लेकिन अभी तक क्षेत्र की जनता के साथ सौतेला व्यवहार ही किया जा रहा है। जिसको लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी और रोष देखने को मिल रहा है।

हजारों की संख्या में ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द अस्पताल के भवन का निर्माण किया जाए, साथ ही डॉक्टरों की उचित व्यवस्था करके मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जाए।

अन्यथा ग्रामीण एक एलोपैथिक चिकित्सालय के इलाज हेतु आंदोलन करने पर बाध्य हो जाएंगे।